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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 18

        

                       मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 18 )


                       अब तक के भागौ में आपने पढ़ा  कि किस प्रकार  तान्या व विशाल की भागकर  शादी होती है ।  और उसी बीच रमला का जन्म होता है । दूसरी तरफ तान्या के माता पिता की आत्महत्या करने से मौत  होजाती है। विशाल की सारिका से दूसरी शादी हो जाती है। इसके बाद किस प्रकार  सारिका की सहेली सलौनी रमला के बिषय में गलत सोचकर  सारिका को लालच देती है और विक्रम कौ आगे कर उससे प्यार का नाटक खिलवाती है।
                          विक्रम रमला के साथ नाजायज सम्बन्ध बनाकर उसका वीडियो बनाना चाहता था परन्तु रमला उसकी चालाकी समझ जाती है  और वह सतर्क होकर यह प्लान कामयाब नहीं होने देती है। इससे आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए।

        रमला अब विक्रम की चालाकी समझ चुकी थी। वह सोच रही थी वह उससे नही उसके बदन को प्यार करता है वह उससे सम्बन्ध बनाने  के लिए आतुर है।

        इसलिए वह उससे दूर ही रहना चाहती थी। परन्तु विक्रम दो दिन बाद ही उससे मिलने आगया।

     और वह रमला से सारी बोलते हुए बोला " देखो रमला तुम्है मेरे कारण जो दुःख पहुँचा है मैं उसके लिए माँफी माँगता हूँ। बैसे तुम  कुछ गलतफहमी का शिकार होगयी हो। तुम जो सोच रही हो बैसा कुछ नहीं था। "

      रमला उसको डाँटती हुई बोली," बस रहने दो यह मक्खन कहीं और लगाना। मै कोई दूध पीती बच्ची नहीं हूँ। मुझे समझाने की कोशिश करने का कोई फायदा नहीं है। "

     लेकिन विक्रम उससे छमा माँग कर अपनी भूल को स्वीकार कर रहा था। जब वह कुछ ज्यादा ही गिड़गिडा़ने लगा तब रमला ने उसे माँफ कर दिया।

     रमला बोली," जाओ इसबार माँफ कर दिया दूसरी बार ऐसा किया तो देख लेना । "

   विक्रम को अब कुछ शान्ति मिल गयी और उसने  इस समय वहाँ से चलने में ही भलाई समझी। लेकिन तब तक वहाँ सारिका आगयी।

    सारिका अनजान बनते हुए विक्रम से पूछने लगी," और विक्रम कैसा रहा तुम दौनौ का टूर? "

   विक्रम बोला " आपको रमला ने नहीं बताया ?"

सारिका ने उत्तर देते हूए कहा," रमला मुझे क्यौ बतायेगी मै तो सौतेली जो ठहरी। "

रमला बीच में बात काटते हुए बोली," मम्मी मैने आजतक आपको सौतेली नहीं समझा। अपनी सगी माँ से अधिक सम्मान किया है फिर भी आप ऐसी बात कर रही हो। "

           सारिका बोली ," मैने उस दिन भी तेरी बात रखली थी कि तू मुझे बताकर घूमने गयी है जबकि तूने मुझसे कोई परमीशन नहीं ली थी। मैने विशाल को आजतक तेरी कोई शिकायत नहीं की है जबकि मुझे यह नही मालूम होता है कि तू कहाँ जाती है।  "

      रमला इस बात को अधिक तूल नहीं देना चाहती थी इसलिए चुप रहना ही ठीक समझा। वह अपनी सौतेली माँ की आदत अच्छी तरह पहचानने लगी थी।

       विक्रम पुनः जाने के लिए तैयार हुआ तब सारिका ने फिर उसको रोक लिया क्यौकि सारिका उन दौनौ को आपस मिलने का अधिक समय देना चाहती थी ।जिससे एक दूसरे को समझकर कोई ऐसा कदम उठाले जिसका उसे फायदा उठाने का मौका मिल सकें।

        विक्रम रुकने के लिए तैयार होगया तब रमला बोली ," मम्मी उसे जाने की जल्दी है आप  उसे जबरन रोकने की कोशिश कर रही है। वह जाना चाहता है तो जाने दो ।"

       रमला उससे पीछा छुडा़ना चाहती थी। सारिका चाय का बहाना करके चाय बनाने चली गयी।

     अब कमरे में केवल रमला व विक्रम ही थे। अब विक्रम ही पहले बोला,"  माई डियर रमला तुम मुझसे दूर क्यौ जाना चाहती हो मै तुमसे सच्चा प्यार करता हूँ ।लेकिन नजाने तुम क्या चाहती हो। मै तुमसे शादी करना चाहता हूँ।"

    रमला बोली," मिस्टर प्यार के बीच में शादी कहाँ से आ गयी। शादी करने से पहले कुछ काम भी करना सीखलो ।शादी के बाद बीबी के बहुत खर्चे होते है । मुझे अभी शादी नहीं करनी। यदि शादी के लिए प्यार कर रहे हो तो कोई और लड़की देखलो। "

        विक्रम बोला," मैने सुना है तुम्हारे पापा शादी के लिए लड़का देख रहे है। "

     रमला पापा का नाम बीच में सुनकर पूछने लगी," तुमसे कौन कह रहा था?"

   तब तक सारिका वहाँ आगयी और बोली ," मैने बताया था।  "

    रमला बोली," आपने  ?"

     सारिका ने उसे विशाल से हुई पूरी बात बताई और बोली," यदि तुम दौनौ शादी के लिए हाँ कहदो तब यह बात कुछ दिन के लिए टाली जा सकती है।"

      "नहीं मुझे अभी शादी करनी ही नही है।" रमला ने सारिका को कहा।

     " शादी तो  एक दिन सब को करनी होती है। वह तुझे भी करनी होगी।"' सारिका ने उसे समझाते हुए कहा।

        "शादी! शादी! क्या रखा है शादी में आज शादी करो फिर कल बच्चा पैदा करो। ना बाबा मुझे बच्चे के नाम से ही डर लगता है।", रमला डरती हुई बोली।

        सारिका ने उसे समझाया कि डरने से काम नहीं चलेगा जो अब तक होता आया है वह सब करना पड़ता है।

     सारिका व विक्रम उसे परेशान देखकर अकेला छोड़कर चलेगये। कुछ समय बाद विक्रम चला गया।

      विक्रम के जाने के बाद सारिका रमला के कमरे में कुछ  खाने के लिए लेकर पहुँची।

     रमला अपने कमरे में उल्टी लेटी हुई थी सारिका ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और बोली," देख रमला मै तेरी अपनी हूँ मै तेरा बुरा कैसे सोच सकती हूँ। तू कहे तो मै तेरे पापा से बात करके देखूँ। "

    रमला ने पूछा,"  किसके बिषय में बात करनी है।"

     सारिका बोली ," तेरे व विक्रम के प्यार के बिषय  में।   तू कहेगी तभी बात करूँगी। मैं चाहती हूँ तुम दौनौ एक होजाओ। प्यार करना कोई पाप नही है। लेकिन कुछ लोग प्यार करने वालौ के दुश्मन होते है। मै उनमें से नहीं हूँ कि मुँह पर कुछ कहते है परन्तु पीछे कुछ और बोलते है। "

रमला बोली ," माँ मुझे आज अकेला छोड़ दो मै इस बिषय पर कल बात करूँगी। "

       सारिका  उसकी बात मानकर चलीं गयी।

                   "   क्रमशः" आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए।
   

       


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1 Comments

Varsha_Upadhyay

20-Jul-2023 01:50 PM

V nice

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